धीरूभाई अंबानी ने  रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना करने के बाद १९७७ में उसे पब्लिक किया। 

धीरूभाई अंबानी को व्यापार और उद्योग के उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें २०१६ में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सन्मानित किया गया। 

धीरूभाई अंबानी ने अपने भाई के साथ यए बेसे एंड कंपनी नाम की ब्रिटिश कंपनी में एक क्लार्क के रूप में काम किया था। जहा उन्हें ३०० रु प्रति महीना मिलता था। 

उन्होंने १९७७ में रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की ,हलाकि कपोजन्य का नाम पहले रिलायंस कमर्सिअल कॉर्पोरेशन था ,वो हमेशा अपनी कंपनी का नाम बदलते थे। 

रिलायंस कमर्सिअल कॉर्पोरेशन का पहला ऑफिस मज्जिद बन्दर में नरसिनाथ स्ट्रीट पर स्थापित किया गया था। 

ऑफिस जब स्थापित किया गया उस वक्त उस ऑफिस में एक टेलीफोन ,एक मेज और तीन कुर्सीया थी। और एक ३०० वर्ग फुट का कमरा था।  

धीरूभाई के नेतृत्व में पहली बार रिलायंस इंडस्ट्री भारत की स्वामित्व वाली कंपनी बन गयी ,जिसे अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग दी गयी। 

धीरूभाई अंबानी को २००१ में कॉर्पोरेट उतृष्टता के लिए द इकोनॉमिक्स टाइम पुरस्कार से नवाजा गया। 

साथ ही उन्हें केमटेक फ़ॉउंडेशन और केमिकल इंजीनियरिंग वर्ल्ड द्वारा मैन ऑफ़ द सेंच्युरी पुरस्कार से भी सन्मानित किया गया। 

धीरूभाई अंबानी पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय (University of Pennsylvania) के व्हार्टन स्कूल डीन मेडल प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बने

उन्हें एशिया वीक पत्रिका द्वारा 'पावर 50 - एशिया के सबसे शक्तिशाली लोगों' (Power 50 - the most powerful people in Asia) की सूची में भी शामिल किया गया था.

रिलायंस इंडिया की टॉप कंपनी होने के कारन रिलायंस के बहुत सारे बिज़नेस हे ,हर सेक्टर में उनका बिज़नेस (व्यापार )हे।