नमस्ते दोस्तों। आज हम समझने वाले हे की शेयर मार्किट में pledge shares meaning in hindi .आखिर कंपनी के प्रोमोटर्स अपने शेयर्स क्यों प्लेज करते हे। और शेयर प्लेज के क्या फायदे और क्या क्या नुकसान हे। और शेयर्स प्लेज का शेयर होल्डर पर क्या असर होता हे। इन सब के बारे में हम आज जानने वाले हे।

कंपनी के प्रोमोटर ज्यादातर कंपनी मालिक ही होते हे। और कंपनी में ज्यादा से ज्यादा स्टेक कंपनी के ओनर यानि मालिक की होती हे। और वो मालिक अपने निजी खर्चे के लिए या अपने व्यापार के दुरुस्ती के लिए किसी बैंक से लोन लेते हे। और लोन लेने के लिए वे अपने कंपनी के शेयर्स गिरवी रखते हे। तो उन्ही शेयर को प्लेज शेयर्स कहा जाता हे।
लेकिन शेयर प्लेज करना ये शेयर होल्डर के लिए नकारात्मक संकेत होता हे। क्युकी कंपनी मालिक के पास कॅश मजूद नहीं होता। और कंपनी को पैसे की जरुरत पड़ती हे तो वो अपने कंपनी के शेयर्स प्लेज करता हे।
महत्वपूर्ण पोस्ट –
शेयर मार्किट में FII और DII क्या होते हे ?
हमारे इंडिया में covid-१९ महामारी के चलते बहुतसी कंपनी को नुकसान हुए। और बहुतसी कंपनी दुब भी गयी। और इनके कारन बहुतसे कंपनी के प्रमोटर ने अपने कंपनी के शेयर्स को प्लेज करके रखा हे। लेकिन ऐसा नहीं हे की अगर प्रोमोटर ने शेयर्स प्लेज किये हे तो वो सही नहीं हे। या कंपनी अब डूबेगी। शेयर्स को प्लेज करना एक अच्छा भी हो सकता हे। जानते हे कैसे –
अगर कंपनी अपने शेयर प्लेज कर रही हे। तो हो सकता हो कंपनी अपने व्यपार को बढ़ने के लिए शेयर्स प्लाज कर रही हो। या फिर प्रोमोटर शेयर प्लेज करके अपने कंपनी में कुछ नए प्रोडक्ट बना रही हो। तो ऐसे में कंपनी भविष्य में अच्छा मुनाफा यानि ग्रोथ ला सकती हे।
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प्लेज शेयर अच्छा या बुरा
शेयर को प्लेज करना कंपनी के लिए अलग अलग हो सकता हे।कोई अपनी निजी खर्च के लिए लोन लेता हे। कोई अपने कंपनी के व्यपार को बढ़ने के लिए लोन लेता हे। तो दोनों में बहुत फर्क हे। लेकिन अगर कोई भी प्रोमोटर शेयर को प्लेज करके लोन लेता हे। और अगर वो लोन चुकाने में असफल होता हे। तो जहा से प्रोमोटर ने लोन लिए चाहे वो बैंक हो या और कोई संथा। उन्हें ये पूरा हक़ रहता हे की वे उस शेयर्स को ओपन मार्किट में बेच सकते हे।
प्रोमोटर अगर लोन नहीं चूका पाया तो डिफ़ॉल्ट घोषित हो जाता हे। इसमें उस कंपनी की शेयर प्राइज तेजी से निचे गिरने लगाती हे। क्युकी बैंक ओपन मार्किट में शै की प्राइज जो भी हो उस प्राइज पे शेयर को बेच देते हे। इससे कंपनी के इन्वेस्टर को काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता हे।
pledging ये कोई फ्रॉड या धोखाधड़ी नहीं हे। लेकिन ज्यादा शेयर को प्लेज करना ये संकेत नकारत्मक हे। क्युकी अगर ज्यादा परसेंटेज से शेयर प्लेज किया जाये। तो प्रोमोटर लोन चुकाने में असफल हो सकता हे। और बैंक ने इन प्लेज शेयर को ओपन मार्किट में बेच देने से कंपनी की शेयर प्राइज तेजी से निचे गिरती हे।
शेयर प्लेज का शेयर होल्डर पर क्या असर होता है ?
जब कोई प्रोमोटर अपने कंपनी के शेयर प्लेज करता हे। तो सबसे पहले शेयर मार्किट के ऑपरेटर्स लो पता चलता हे। तो वो कंपनी की जाँच करते हे। और कंपनी में क्या चला रहा हे। और कंपनी को क्यों लोन की जरुरत पढ़ी हे इसकी जाँच करते हे। अगर उन ऑपरेटर्स को कुछ गलत लगता हे। तो वो ऑपरेटर धीरे धीरे उस कंपनी के शेयर को बेचना चालू कर देते हे।
और जब प्रोमोटर लोन नहीं चूका पता तो बैंक भी शेयर बेच देती हे। तो उसी टाइम एक साथ बैंक और ऑपरेटर्स से शेयर की short selling होती हे। और शेयर प्राइज तेजी से निचे गिरती ही। इससे कंपनी के जो शेयर होल्डर रहते हे। जिन्होंने बड़े भरोसे के साथ कंपनी में invest किया रहता हे। इससे उन शेयर्स होल्डर को बहुत बड़ी मात्रा में नुकसान होता हे।
शेयर होल्डर की इन्वेस्ट वैल्यू ५० % या उससे भी काम हो जाती हे। और इसमें फायदा सिर्फ प्रोमोटर का होता हे। क्युकी वो तो पूरा लोन अपने पास रखा लेता हे। और बैंक को उसका थोड़ा बहुत नुकसान झेलना पड़ता हे। क्यकि शेयर वैल्यू ऑपरेटर्स ने पहले ही कम कर दी होती हे।
शेयर होल्डर का शेयर शेयर प्लेज करना क्या होता है ? .
sebi के मार्जिन नियम के अनुसार share holders भी चाहे तो अपने शेयर्स को प्लेज कर सकता हे। अगर शेयर होल्डर को मार्जिन की जरुरत पड़ती हे तो शेयर होल्डर अपने शेयर को ब्रोकर के पास अपने शेयर गिरवी रखा सकता हे। लेकिन शेयर्स होल्डर मार्जिन वापस न लौटा ने पर ब्रोकर को पूरा हक़ रहता हे की वो उसके शेयर को ओपन मार्किट में हे उस प्राइज पर शेयर को बेच सकता हे। उसेही pledge shares meaning in hindi कहा जाता हे।
जैसे कंपनी शेयर को प्लेज करने के बाद बैंक से लोन लेती हे। वैसे ही शेयर होल्डर मार्जिन के लिए अपने शेयर को ब्रोकर के पास गिरवी या प्लेज कर सकते हे। लेकिन अगर दोनों सेगमेंट में प्रमोटर या शेयर्स होल्डर अगर लोन या मार्जिन नहीं चूका पते तो बैंक और ब्रोकर को वो शेयर डायरेक्ट मार्किट मने बेचने का अधिकार सेबी ने दिया हे।
क्या शेयर प्लेज किया गए कंपनी में इन्वेस्ट करे ?
किसी भी कंपनी में इन्वेस्ट करने से पहले उस कंपनी के प्रोमोटर की प्लेड्जिंग जान ले। लेकिन आप कहेंगे की ये कहा पता करे की कंपनी के प्रोमोटर ने अपने कितने शेयर को प्लेज करके रखा हे। तो ये जानने के लिए सेबी की वेबसाइट भी मौजूद हे।
अगर प्रोमोटर ने अपने ५० % शेयर्स को प्लेज करके रखा हे तो। उस कंपनी इन्वेस्ट करना ज्यादा रिस्की मन जाता हे। और ऐसी कंपनी इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। और अगर प्रोमोटर की प्लेड्जिंग २५ % से ४० % हे तो वो जरा काम रॉकी मन जाता हे। लेकिन फिर इन्वेस्ट करने से पहले कंपनी के fundamental analysis को जान ले।
प्लेड्जिंग अगर २५ % से कम हे तो वो और कम रिस्क हो जाता हे। और अगर प्लेड्जिंग ० % हे तो इससे अच्छी बात तो हो ही नहीं सकती। जिस कंपनी की प्लेड्जिंग ० % हे। उसमे आप इन्वेस्ट कर सकते हे। वो काफी अच्छा रहेगा। covid -१९ के चलते ये शेयर प्लेज का सिलसिला धीरे धीरे हमारे इंडिया में बढ़ रहा हे। और अब तक bse में ९० % कंपनी के प्रोमोटर्स ने अपने शेयर प्लेज किये हुयी हे।
आज हमने क्या सीखा
आज हमने सीखा की pledge shares meaning in hindi क्या होता हे। और शेयर प्लाज से क्या फायदे और नुकसान होते हे। और चाहे प्रोमोटर हो या शेयर होल्डर शेयर पलड़े दोनों कर सकते हे। और क्यों प्लेड्जिंग की जाती हे ,इसके बारे में आज हमने जाना। और pledge shares meaning in hindi के बारे में हमने आज महत्वपूर्ण बाते सीखी।
हमें यकीं हे की आज की ये pledge shares meaning in hindi पोस्ट आपको काफी पसंद आयी हो। और आपके प्लेड्जिंग के बारे में आपकी शंक दूर हुयी हो। और अगर आपको हमारी ये आजकी पोस्ट अच्छी लगे तो कृपया इसे अपने फॅमिली या दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजियेगा।
और अगर आपको शेयर मार्किट के विषय पर कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हे। धन्यवाद !
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